26وَهُم يَنهَونَ عَنهُ وَيَنأَونَ عَنهُ ۖ وَإِن يُهلِكونَ إِلّا أَنفُسَهُم وَما يَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर ये लोग (दूसरों को भी) उस के (सुनने से) से रोकते हैं और ख़ुद तो अलग थलग रहते ही हैं और (इन बातों से) बस आप ही अपने को हलाक करते हैं और (अफसोस) समझते नहीं