26وَهُم يَنهَونَ عَنهُ وَيَنأَونَ عَنهُ ۖ وَإِن يُهلِكونَ إِلّا أَنفُسَهُم وَما يَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर वे उससे दूसरों को रोकते है और स्वयं भी उससे दूर रहते है। वे तो बस अपने आपको ही विनष्ट कर रहे है, किन्तु उन्हें इसका एहसास नहीं