20الَّذينَ آتَيناهُمُ الكِتابَ يَعرِفونَهُ كَما يَعرِفونَ أَبناءَهُمُ ۘ الَّذينَ خَسِروا أَنفُسَهُم فَهُم لا يُؤمِنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिन लोगों को हमने किताब दी है, वे उसे इस प्रकार पहचानते है, जिस प्रकार अपने बेटों को पहचानते है। जिन लोगों ने अपने आपको घाटे में डाला है, वही ईमान नहीं लाते