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Sura 6
Aya 119
119
وَما لَكُم أَلّا تَأكُلوا مِمّا ذُكِرَ اسمُ اللَّهِ عَلَيهِ وَقَد فَصَّلَ لَكُم ما حَرَّمَ عَلَيكُم إِلّا مَا اضطُرِرتُم إِلَيهِ ۗ وَإِنَّ كَثيرًا لَيُضِلّونَ بِأَهوائِهِم بِغَيرِ عِلمٍ ۗ إِنَّ رَبَّكَ هُوَ أَعلَمُ بِالمُعتَدينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और तुम्हें क्या हो गया है कि जिस पर ख़ुदा का नाम लिया गया हो उसमें नहीं खाते हो हालॉकि जो चीज़ें उसने तुम पर हराम कर दीं हैं वह तुमसे तफसीलन बयान कर दीं हैं मगर (हाँ) जब तुम मजबूर हो तो अलबत्ता (हराम भी खा सकते हो) और बहुतेरे तो (ख्वाहमख्वाह) अपनी नफसानी ख्वाहिशों से बे समझे बूझे (लोगों को) बहका देते हैं और तुम्हारा परवरदिगार तो हक़ से तजाविज़ करने वालों से ख़ूब वाक़िफ है