109وَأَقسَموا بِاللَّهِ جَهدَ أَيمانِهِم لَئِن جاءَتهُم آيَةٌ لَيُؤمِنُنَّ بِها ۚ قُل إِنَّمَا الآياتُ عِندَ اللَّهِ ۖ وَما يُشعِرُكُم أَنَّها إِذا جاءَت لا يُؤمِنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदवे लोग तो अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाते है कि यदि उनके पास कोई निशानी आ जाए, तो उसपर वे अवश्य ईमान लाएँगे। कह दो, "निशानियाँ तो अल्लाह ही के पास है।" और तुम्हें क्या पता कि जब वे आ जाएँगी तो भी वे ईमान नहीं लाएँगे