You are here: Home » Chapter 59 » Verse 2 » Translation
Sura 59
Aya 2
2
هُوَ الَّذي أَخرَجَ الَّذينَ كَفَروا مِن أَهلِ الكِتابِ مِن دِيارِهِم لِأَوَّلِ الحَشرِ ۚ ما ظَنَنتُم أَن يَخرُجوا ۖ وَظَنّوا أَنَّهُم مانِعَتُهُم حُصونُهُم مِنَ اللَّهِ فَأَتاهُمُ اللَّهُ مِن حَيثُ لَم يَحتَسِبوا ۖ وَقَذَفَ في قُلوبِهِمُ الرُّعبَ ۚ يُخرِبونَ بُيوتَهُم بِأَيديهِم وَأَيدِي المُؤمِنينَ فَاعتَبِروا يا أُولِي الأَبصارِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

वही तो है जिसने कुफ्फ़ार अहले किताब (बनी नुजैर) को पहले हश्र (ज़िलाए वतन) में उनके घरों से निकाल बाहर किया (मुसलमानों) तुमको तो ये वहम भी न था कि वह निकल जाएँगे और वह लोग ये समझे हुये थे कि उनके क़िले उनको ख़ुदा (के अज़ाब) से बचा लेंगे मगर जहाँ से उनको ख्याल भी न था ख़ुदा ने उनको आ लिया और उनके दिलों में (मुसलमानों) को रौब डाल दिया कि वह लोग ख़ुद अपने हाथों से और मोमिनीन के हाथों से अपने घरों को उजाड़ने लगे तो ऐ ऑंख वालों इबरत हासिल करो