9يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا إِذا تَناجَيتُم فَلا تَتَناجَوا بِالإِثمِ وَالعُدوانِ وَمَعصِيَتِ الرَّسولِ وَتَناجَوا بِالبِرِّ وَالتَّقوىٰ ۖ وَاتَّقُوا اللَّهَ الَّذي إِلَيهِ تُحشَرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ ईमान लानेवालो! जब तुम आपस में गुप्त॥ वार्ता करो तो गुनाह और ज़्यादती और रसूल की अवज्ञा की गुप्त वार्ता न करो, बल्कि नेकी और परहेज़गारी के विषय में आपस में एकान्त वार्ता करो। और अल्लाह का डर रखो, जिसके पास तुम इकट्ठे होगे