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Sura 58
Aya 8
8
أَلَم تَرَ إِلَى الَّذينَ نُهوا عَنِ النَّجوىٰ ثُمَّ يَعودونَ لِما نُهوا عَنهُ وَيَتَناجَونَ بِالإِثمِ وَالعُدوانِ وَمَعصِيَتِ الرَّسولِ وَإِذا جاءوكَ حَيَّوكَ بِما لَم يُحَيِّكَ بِهِ اللَّهُ وَيَقولونَ في أَنفُسِهِم لَولا يُعَذِّبُنَا اللَّهُ بِما نَقولُ ۚ حَسبُهُم جَهَنَّمُ يَصلَونَها ۖ فَبِئسَ المَصيرُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

क्या तुमने नहीं देखा जिन्हें कानाफूसी से रोका गया था, फिर वे वही करते रहे जिससे उन्हें रोका गया था। वे आपस में गुनाह और ज़्यादती और रसूल की अवज्ञा की कानाफूसी करते है। और जब तुम्हारे पास आते है तो तुम्हारे प्रति अभिवादन के ऐसे शब्द प्रयोग में लाते है जो शब्द अल्लाह ने तुम्हारे लिए अभिवादन के लिए नहीं कहे। और अपने जी में कहते है, "जो कुछ हम कहते है उसपर अल्लाह हमें यातना क्यों नहीं देता?" उनके लिए जहन्नम ही काफ़ी है जिसमें वे प्रविष्ट होंगे। वह तो बहुत बुरी जगह है, अन्त नें पहुँचने की!