3وَالَّذينَ يُظاهِرونَ مِن نِسائِهِم ثُمَّ يَعودونَ لِما قالوا فَتَحريرُ رَقَبَةٍ مِن قَبلِ أَن يَتَماسّا ۚ ذٰلِكُم توعَظونَ بِهِ ۚ وَاللَّهُ بِما تَعمَلونَ خَبيرٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जो लोग अपनी बीवियों से ज़हार कर बैठे फिर अपनी बात वापस लें तो दोनों के हमबिस्तर होने से पहले (कफ्फ़ारे में) एक ग़ुलाम का आज़ाद करना (ज़रूरी) है उसकी तुमको नसीहत की जाती है और तुम जो कुछ भी करते हो (ख़ुदा) उससे आगाह है