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Sura 57
Aya 13
13
يَومَ يَقولُ المُنافِقونَ وَالمُنافِقاتُ لِلَّذينَ آمَنُوا انظُرونا نَقتَبِس مِن نورِكُم قيلَ ارجِعوا وَراءَكُم فَالتَمِسوا نورًا فَضُرِبَ بَينَهُم بِسورٍ لَهُ بابٌ باطِنُهُ فيهِ الرَّحمَةُ وَظاهِرُهُ مِن قِبَلِهِ العَذابُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

उस दिन मुनाफ़िक मर्द और मुनाफ़िक औरतें ईमानदारों से कहेंगे एक नज़र (शफ़क्क़त) हमारी तरफ़ भी करो कि हम भी तुम्हारे नूर से कुछ रौशनी हासिल करें तो (उनसे) कहा जाएगा कि तुम अपने पीछे (दुनिया में) लौट जाओ और (वही) किसी और नूर की तलाश करो फिर उनके बीच में एक दीवार खड़ी कर दी जाएगी जिसमें एक दरवाज़ा होगा (और) उसके अन्दर की जानिब तो रहमत है और बाहर की तरफ अज़ाब तो मुनाफ़िक़ीन मोमिनीन से पुकार कर कहेंगे