46يَومَ لا يُغني عَنهُم كَيدُهُم شَيئًا وَلا هُم يُنصَرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदजिस दिन उनकी चाल उनके कुछ भी काम न आएगी और न उन्हें कोई सहायता ही मिलेगी;