إِنّا أَنزَلنَا التَّوراةَ فيها هُدًى وَنورٌ ۚ يَحكُمُ بِهَا النَّبِيّونَ الَّذينَ أَسلَموا لِلَّذينَ هادوا وَالرَّبّانِيّونَ وَالأَحبارُ بِمَا استُحفِظوا مِن كِتابِ اللَّهِ وَكانوا عَلَيهِ شُهَداءَ ۚ فَلا تَخشَوُا النّاسَ وَاخشَونِ وَلا تَشتَروا بِآياتي ثَمَنًا قَليلًا ۚ وَمَن لَم يَحكُم بِما أَنزَلَ اللَّهُ فَأُولٰئِكَ هُمُ الكافِرونَ
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
बेशक हम ने तौरेत नाज़िल की जिसमें (लोगों की) हिदायत और नूर (ईमान) है उसी के मुताबिक़ ख़ुदा के फ़रमाबरदार बन्दे (अम्बियाए बनी इसराईल) यहूदियों को हुक्म देते रहे और अल्लाह वाले और उलेमाए (यहूद) भी किताबे ख़ुदा से (हुक्म देते थे) जिसके वह मुहाफ़िज़ बनाए गए थे और वह उसके गवाह भी थे पस (ऐ मुसलमानों) तुम लोगों से (ज़रा भी) न डरो (बल्कि) मुझ ही से डरो और मेरी आयतों के बदले में (दुनिया की दौलत जो दर हक़ीक़त बहुत थोड़ी क़ीमत है) न लो और (समझ लो कि) जो शख्स ख़ुदा की नाज़िल की हुई (किताब) के मुताबिक़ हुक्म न दे तो ऐसे ही लोग काफ़िर हैं