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Sura 5
Aya 42
42
سَمّاعونَ لِلكَذِبِ أَكّالونَ لِلسُّحتِ ۚ فَإِن جاءوكَ فَاحكُم بَينَهُم أَو أَعرِض عَنهُم ۖ وَإِن تُعرِض عَنهُم فَلَن يَضُرّوكَ شَيئًا ۖ وَإِن حَكَمتَ فَاحكُم بَينَهُم بِالقِسطِ ۚ إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ المُقسِطينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ये (कम्बख्त) झूठी बातों को बड़े शौक़ से सुनने वाले और बड़े ही हरामख़ोर हैं तो (ऐ रसूल) अगर ये लोग तुम्हारे पास (कोई मामला लेकर) आए तो तुमको इख्तेयार है ख्वाह उनके दरमियान फैसला कर दो या उनसे किनाराकशी करो और अगर तुम किनाराकश रहोगे तो (कुछ ख्याल न करो) ये लोग तुम्हारा हरगिज़ कुछ बिगाड़ नहीं सकते और अगर उनमें फैसला करो तो इन्साफ़ से फैसला करो क्योंकि ख़ुदा इन्साफ़ करने वालों को दोस्त रखता है