2يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا لا تَرفَعوا أَصواتَكُم فَوقَ صَوتِ النَّبِيِّ وَلا تَجهَروا لَهُ بِالقَولِ كَجَهرِ بَعضِكُم لِبَعضٍ أَن تَحبَطَ أَعمالُكُم وَأَنتُم لا تَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऐ ईमानदारों (बोलने में) अपनी आवाज़े पैग़म्बर की आवाज़ से ऊँची न किया करो और जिस तरह तुम आपस में एक दूसरे से ज़ोर (ज़ोर) से बोला करते हो उनके रूबरू ज़ोर से न बोला करो (ऐसा न हो कि) तुम्हारा किया कराया सब अकारत हो जाए और तुमको ख़बर भी न हो