2يا أَيُّهَا الَّذينَ آمَنوا لا تَرفَعوا أَصواتَكُم فَوقَ صَوتِ النَّبِيِّ وَلا تَجهَروا لَهُ بِالقَولِ كَجَهرِ بَعضِكُم لِبَعضٍ أَن تَحبَطَ أَعمالُكُم وَأَنتُم لا تَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! तुम अपनी आवाज़ों को नबी की आवाज़ से ऊँची न करो। और जिस तरह तुम आपस में एक-दूसरे से ज़ोर से बोलते हो, उससे ऊँची आवाज़ में बात न करो। कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे कर्म अकारथ हो जाएँ और तुम्हें ख़बर भी न हो