12بَل ظَنَنتُم أَن لَن يَنقَلِبَ الرَّسولُ وَالمُؤمِنونَ إِلىٰ أَهليهِم أَبَدًا وَزُيِّنَ ذٰلِكَ في قُلوبِكُم وَظَنَنتُم ظَنَّ السَّوءِ وَكُنتُم قَومًا بورًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"नहीं, बल्कि तुमने यह समझा कि रसूल और ईमानवाले अपने घरवालों की ओर लौटकर कभी न आएँगे और यह तुम्हारे दिलों को अच्छा लगा। तुमने तो बहुत बुरे गुमान किए और तुम्हीं लोग हुए तबाही में पड़नेवाले।"