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Sura 48
Aya 10
10
إِنَّ الَّذينَ يُبايِعونَكَ إِنَّما يُبايِعونَ اللَّهَ يَدُ اللَّهِ فَوقَ أَيديهِم ۚ فَمَن نَكَثَ فَإِنَّما يَنكُثُ عَلىٰ نَفسِهِ ۖ وَمَن أَوفىٰ بِما عاهَدَ عَلَيهُ اللَّهَ فَسَيُؤتيهِ أَجرًا عَظيمًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

बेशक जो लोग तुमसे बैयत करते हैं वह ख़ुदा ही से बैयत करते हैं ख़ुदा की क़ूवत (कुदरत तो बस सबकी कूवत पर) ग़ालिब है तो जो अहद को तोड़ेगा तो अपने अपने नुक़सान के लिए अहद तोड़ता है और जिसने उस बात को जिसका उसने ख़ुदा से अहद किया है पूरा किया तो उसको अनक़रीब ही अज्रे अज़ीम अता फ़रमाएगा