30وَلَو نَشاءُ لَأَرَيناكَهُم فَلَعَرَفتَهُم بِسيماهُم ۚ وَلَتَعرِفَنَّهُم في لَحنِ القَولِ ۚ وَاللَّهُ يَعلَمُ أَعمالَكُمफ़ारूक़ ख़ान & नदवीतो हम चाहते तो हम तुम्हें इन लोगों को दिखा देते तो तुम उनकी पेशानी ही से उनको पहचान लेते अगर तुम उन्हें उनके अन्दाज़े गुफ्तगू ही से ज़रूर पहचान लोगे और ख़ुदा तो तुम्हारे आमाल से वाक़िफ है