29أَم حَسِبَ الَّذينَ في قُلوبِهِم مَرَضٌ أَن لَن يُخرِجَ اللَّهُ أَضغانَهُمफ़ारूक़ ख़ान & नदवीक्या वह लोग जिनके दिलों में (नेफ़ाक़ का) मर्ज़ है ये ख्याल करते हैं कि ख़ुदा दिल के कीनों को भी न ज़ाहिर करेगा