34وَقيلَ اليَومَ نَنساكُم كَما نَسيتُم لِقاءَ يَومِكُم هٰذا وَمَأواكُمُ النّارُ وَما لَكُم مِن ناصِرينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (उनसे) कहा जाएगा कि जिस तरह तुमने उस दिन के आने को भुला दिया था उसी तरह आज हम तुमको अपनी रहमत से अमदन भुला देंगे और तुम्हारा ठिकाना दोज़ख़ है और कोई तुम्हारा मददगार नहीं