29فَما بَكَت عَلَيهِمُ السَّماءُ وَالأَرضُ وَما كانوا مُنظَرينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदफिर न तो आकाश और धरती ने उनपर विलाप किया और न उन्हें मुहलत ही मिली