67الأَخِلّاءُ يَومَئِذٍ بَعضُهُم لِبَعضٍ عَدُوٌّ إِلَّا المُتَّقينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(दिली) दोस्त इस दिन (बाहम) एक दूसरे के दुशमन होगें मगर परहेज़गार कि वह दोस्त ही रहेगें