66هَل يَنظُرونَ إِلَّا السّاعَةَ أَن تَأتِيَهُم بَغتَةً وَهُم لا يَشعُرونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीक्या ये लोग बस क़यामत के ही मुन्ज़िर बैठे हैं कि अचानक ही उन पर आ जाए और उन को ख़बर तक न हो