51وَإِذا أَنعَمنا عَلَى الإِنسانِ أَعرَضَ وَنَأىٰ بِجانِبِهِ وَإِذا مَسَّهُ الشَّرُّ فَذو دُعاءٍ عَريضٍफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(वह अलग) और जब हम इन्सान पर एहसान करते हैं तो (हमारी तरफ से) मुँह फेर लेता है और मुँह बदलकर चल देता है और जब उसे तकलीफ़ पहुँचती है तो लम्बी चौड़ी दुआएँ करने लगता है