19يَعلَمُ خائِنَةَ الأَعيُنِ وَما تُخفِي الصُّدورُफ़ारूक़ ख़ान & नदवीख़ुदा तो ऑंखों की दुज़दीदा (ख़यानत की) निगाह को भी जानता है और उन बातों को भी जो (लोगों के) सीनों में पोशीदा है