18وَأَنذِرهُم يَومَ الآزِفَةِ إِذِ القُلوبُ لَدَى الحَناجِرِ كاظِمينَ ۚ ما لِلظّالِمينَ مِن حَميمٍ وَلا شَفيعٍ يُطاعُफ़ारूक़ ख़ान & नदवी(ऐ रसूल) तुम उन लोगों को उस दिन से डराओ जो अनक़रीब आने वाला है जब लोगों के कलेजे घुट घुट के (मारे डर के) मुँह को आ जाएंगें (उस वक्त) न तो सरकशों का कोई सच्चा दोस्त होगा और न कोई ऐसा सिफारिशी जिसकी बात मान ली जाए