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Sura 4
Aya 64
64
وَما أَرسَلنا مِن رَسولٍ إِلّا لِيُطاعَ بِإِذنِ اللَّهِ ۚ وَلَو أَنَّهُم إِذ ظَلَموا أَنفُسَهُم جاءوكَ فَاستَغفَرُوا اللَّهَ وَاستَغفَرَ لَهُمُ الرَّسولُ لَوَجَدُوا اللَّهَ تَوّابًا رَحيمًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (रसूल) जब उन लोगों ने (नाफ़रमानी करके) अपनी जानों पर जुल्म किया था अगर तुम्हारे पास चले आते और ख़ुदा से माफ़ी मॉगते और रसूल (तुम) भी उनकी मग़फ़िरत चाहते तो बेशक वह लोग ख़ुदा को बड़ा तौबा क़ुबूल करने वाला मेहरबान पाते