50انظُر كَيفَ يَفتَرونَ عَلَى اللَّهِ الكَذِبَ ۖ وَكَفىٰ بِهِ إِثمًا مُبينًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमददेखो तो सही, वे अल्लाह पर कैसा झूठ मढ़ते हैं? खुले गुनाह के लिए तो यही पर्याप्त है