32وَلا تَتَمَنَّوا ما فَضَّلَ اللَّهُ بِهِ بَعضَكُم عَلىٰ بَعضٍ ۚ لِلرِّجالِ نَصيبٌ مِمَّا اكتَسَبوا ۖ وَلِلنِّساءِ نَصيبٌ مِمَّا اكتَسَبنَ ۚ وَاسأَلُوا اللَّهَ مِن فَضلِهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ كانَ بِكُلِّ شَيءٍ عَليمًاफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर ख़ुदा ने जो तुममें से एक दूसरे पर तरजीह दी है उसकी हवस न करो (क्योंकि फ़ज़ीलत तो आमाल से है) मर्दो को अपने किए का हिस्सा है और औरतों को अपने किए का हिस्सा और ये और बात है कि तुम ख़ुदा से उसके फज़ल व करम की ख्वाहिश करो ख़ुदा तो हर चीज़े से वाक़िफ़ है