20وَإِن أَرَدتُمُ استِبدالَ زَوجٍ مَكانَ زَوجٍ وَآتَيتُم إِحداهُنَّ قِنطارًا فَلا تَأخُذوا مِنهُ شَيئًا ۚ أَتَأخُذونَهُ بُهتانًا وَإِثمًا مُبينًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर यदि तुम एक पत्ऩी की जगह दूसरी पत्ऩी लाना चाहो तो, चाहे तुमने उनमें किसी को ढेरों माल दे दिया हो, उसमें से कुछ मत लेना। क्या तुम उसपर झूठा आरोप लगाकर और खुले रूप में हक़ मारकर उसे लोगे?