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Sura 4
Aya 128
128
وَإِنِ امرَأَةٌ خافَت مِن بَعلِها نُشوزًا أَو إِعراضًا فَلا جُناحَ عَلَيهِما أَن يُصلِحا بَينَهُما صُلحًا ۚ وَالصُّلحُ خَيرٌ ۗ وَأُحضِرَتِ الأَنفُسُ الشُّحَّ ۚ وَإِن تُحسِنوا وَتَتَّقوا فَإِنَّ اللَّهَ كانَ بِما تَعمَلونَ خَبيرًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि किसी स्त्री को अपने पति की और से दुर्व्यवहार या बेरुख़ी का भय हो, तो इसमें उनके लिए कोई दोष नहीं कि वे दोनों आपस में मेल-मिलाप की कोई राह निकाल ले। और मेल-मिलाव अच्छी चीज़ है। और मन तो लोभ एवं कृपणता के लिए उद्यत रहता है। परन्तु यदि तुम अच्छा व्यवहार करो और (अल्लाह का) भय रखो, तो अल्लाह को निश्चय ही जो कुछ तुम करोगे उसकी खबर रहेगी