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Sura 4
Aya 127
127
وَيَستَفتونَكَ فِي النِّساءِ ۖ قُلِ اللَّهُ يُفتيكُم فيهِنَّ وَما يُتلىٰ عَلَيكُم فِي الكِتابِ في يَتامَى النِّساءِ اللّاتي لا تُؤتونَهُنَّ ما كُتِبَ لَهُنَّ وَتَرغَبونَ أَن تَنكِحوهُنَّ وَالمُستَضعَفينَ مِنَ الوِلدانِ وَأَن تَقوموا لِليَتامىٰ بِالقِسطِ ۚ وَما تَفعَلوا مِن خَيرٍ فَإِنَّ اللَّهَ كانَ بِهِ عَليمًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

लोग तुमसे स्त्रियों के विषय में पूछते है, कहो, "अल्लाह तुम्हें उनके विषय में हुक्म देता है और जो आयतें तुमको इस किताब में पढ़कर सुनाई जाती है, वे उन स्त्रियों के, अनाथों के विषय में भी है, जिनके हक़ तुम अदा नहीं करते। और चाहते हो कि तुम उनके साथ विवाह कर लो और कमज़ोर यतीम बच्चों के बारे में भी यही आदेश है। और इस विषय में भी कि तुम अनाथों के विषय में इनसाफ़ पर क़ायम रहो। जो भलाई भी तुम करोगे तो निश्चय ही, अल्लाह उसे भली-भाँति जानता होगा।"