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Sura 4
Aya 104
104
وَلا تَهِنوا فِي ابتِغاءِ القَومِ ۖ إِن تَكونوا تَألَمونَ فَإِنَّهُم يَألَمونَ كَما تَألَمونَ ۖ وَتَرجونَ مِنَ اللَّهِ ما لا يَرجونَ ۗ وَكانَ اللَّهُ عَليمًا حَكيمًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (मुसलमानों) दुशमनों के पीछा करने में सुस्ती न करो अगर लड़ाई में तुमको तकलीफ़ पहुंचती है तो जैसी तुमको तकलीफ़ पहुंचती है उनको भी वैसी ही अज़ीयत होती है और (तुमको) ये भी (उम्मीद है कि) तुम ख़ुदा से वह वह उम्मीदें रखते हो जो (उनको) नसीब नहीं और ख़ुदा तो सबसे वाक़िफ़ (और) हिकमत वाला है