You are here: Home » Chapter 4 » Verse 102 » Translation
Sura 4
Aya 102
102
وَإِذا كُنتَ فيهِم فَأَقَمتَ لَهُمُ الصَّلاةَ فَلتَقُم طائِفَةٌ مِنهُم مَعَكَ وَليَأخُذوا أَسلِحَتَهُم فَإِذا سَجَدوا فَليَكونوا مِن وَرائِكُم وَلتَأتِ طائِفَةٌ أُخرىٰ لَم يُصَلّوا فَليُصَلّوا مَعَكَ وَليَأخُذوا حِذرَهُم وَأَسلِحَتَهُم ۗ وَدَّ الَّذينَ كَفَروا لَو تَغفُلونَ عَن أَسلِحَتِكُم وَأَمتِعَتِكُم فَيَميلونَ عَلَيكُم مَيلَةً واحِدَةً ۚ وَلا جُناحَ عَلَيكُم إِن كانَ بِكُم أَذًى مِن مَطَرٍ أَو كُنتُم مَرضىٰ أَن تَضَعوا أَسلِحَتَكُم ۖ وَخُذوا حِذرَكُم ۗ إِنَّ اللَّهَ أَعَدَّ لِلكافِرينَ عَذابًا مُهينًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और जब तुम उनके बीच हो और (लड़ाई की दशा में) उन्हें नमाज़ पढ़ाने के लिए खड़े हो, जो चाहिए कि उनमें से एक गिरोह के लोग तुम्हारे साथ खड़े हो जाएँ और अपने हथियार साथ लिए रहें, और फिर जब वे सजदा कर लें तो उन्हें चाहिए कि वे हटकर तुम्हारे पीछे हो जाएँ और दूसरे गिरोंह के लोग, जिन्होंने अभी नमाज़ नही पढ़ी, आएँ और तुम्हारे साथ नमाज़ पढ़े, और उन्हें भी चाहिए कि वे भी अपने बचाव के सामान और हथियार लिए रहें। विधर्मी चाहते ही है कि वे भी अपने हथियारों और सामान से असावधान हो जाओ तो वे तुम पर एक साथ टूट पड़े। यदि वर्षा के कारण तुम्हें तकलीफ़ होती हो या तुम बीमार हो, तो तुम्हारे लिए कोई गुनाह नहीं कि अपने हथियार रख दो, फिर भी अपनी सुरक्षा का सामान लिए रहो। अल्लाह ने विधर्मियों के लिए अपमानजनक यातना तैयार कर रखी है