101وَإِذا ضَرَبتُم فِي الأَرضِ فَلَيسَ عَلَيكُم جُناحٌ أَن تَقصُروا مِنَ الصَّلاةِ إِن خِفتُم أَن يَفتِنَكُمُ الَّذينَ كَفَروا ۚ إِنَّ الكافِرينَ كانوا لَكُم عَدُوًّا مُبينًاफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर जब तुम धरती में यात्रा करो, तो इसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं कि नमाज़ को कुछ संक्षिप्त कर दो; यदि तुम्हें इस बात का भय हो कि विधर्मी लोग तुम्हें सताएँगे और कष्ट पहुँचाएँगे। निश्चय ही विधर्मी लोग तुम्हारे खुले शत्रु है