67وَما قَدَرُوا اللَّهَ حَقَّ قَدرِهِ وَالأَرضُ جَميعًا قَبضَتُهُ يَومَ القِيامَةِ وَالسَّماواتُ مَطوِيّاتٌ بِيَمينِهِ ۚ سُبحانَهُ وَتَعالىٰ عَمّا يُشرِكونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउन्होंने अल्लाह की क़द्र न जानी, जैसी क़द्र उसकी जाननी चाहिए थी। हालाँकि क़ियामत के दिन सारी की सारी धरती उसकी मुट्ठी में होगी और आकाश उसके दाएँ हाथ में लिपटे हुए होंगे। महान और उच्च है वह उससे, जो वे साझी ठहराते है