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Sura 39
Aya 49
49
فَإِذا مَسَّ الإِنسانَ ضُرٌّ دَعانا ثُمَّ إِذا خَوَّلناهُ نِعمَةً مِنّا قالَ إِنَّما أوتيتُهُ عَلىٰ عِلمٍ ۚ بَل هِيَ فِتنَةٌ وَلٰكِنَّ أَكثَرَهُم لا يَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

इन्सान को तो जब कोई बुराई छू गयी बस वह लगा हमसे दुआएँ माँगने, फिर जब हम उसे अपनी तरफ़ से कोई नेअमत अता करते हैं तो कहने लगता है कि ये तो सिर्फ (मेरे) इल्म के ज़ोर से मुझे दिया गया है (ये ग़लती है) बल्कि ये तो एक आज़माइश है मगर उन में के अक्सर नहीं जानते हैं