62وَقالوا ما لَنا لا نَرىٰ رِجالًا كُنّا نَعُدُّهُم مِنَ الأَشرارِफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर (फिर) खुद भी कहेगें हमें क्या हो गया है कि हम जिन लोगों को (दुनिया में) शरीर शुमार करते थे हम उनको यहाँ (दोज़ख़) में नहीं देखते