78وَضَرَبَ لَنا مَثَلًا وَنَسِيَ خَلقَهُ ۖ قالَ مَن يُحيِي العِظامَ وَهِيَ رَميمٌफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर हमारी निसबत बातें बनाने लगा और अपनी ख़िलक़त (की हालत) भूल गया और कहने लगा कि भला जब ये हड्डियां (सड़गल कर) ख़ाक हो जाएँगी तो (फिर) कौन (दोबारा) ज़िन्दा कर सकता है