76فَلا يَحزُنكَ قَولُهُم ۘ إِنّا نَعلَمُ ما يُسِرّونَ وَما يُعلِنونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअतः उनकी बात तुम्हें शोकाकुल न करे। हम जानते है जो कुछ वे छिपाते और जो कुछ व्यक्त करते है