54فَاليَومَ لا تُظلَمُ نَفسٌ شَيئًا وَلا تُجزَونَ إِلّا ما كُنتُم تَعمَلونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीफिर आज (क़यामत के दिन) किसी शख्स पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम लोगों को तो उसी का बदला दिया जाएगा जो तुम लोग (दुनिया में) किया करते थे