54فَاليَومَ لا تُظلَمُ نَفسٌ شَيئًا وَلا تُجزَونَ إِلّا ما كُنتُم تَعمَلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदअब आज किसी जीव पर कुछ भी ज़ुल्म न होगा और तुम्हें बदले में वही मिलेगा जो कुछ तुम करते रहे हो