29إِن كانَت إِلّا صَيحَةً واحِدَةً فَإِذا هُم خامِدونَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीवह तो सिर्फ एक चिंघाड थी (जो कर दी गयी बस) फिर तो वह फौरन चिराग़े सहरी की तरह बुझ के रह गए