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Sura 35
Aya 8
8
أَفَمَن زُيِّنَ لَهُ سوءُ عَمَلِهِ فَرَآهُ حَسَنًا ۖ فَإِنَّ اللَّهَ يُضِلُّ مَن يَشاءُ وَيَهدي مَن يَشاءُ ۖ فَلا تَذهَب نَفسُكَ عَلَيهِم حَسَراتٍ ۚ إِنَّ اللَّهَ عَليمٌ بِما يَصنَعونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

तो भला वह शख्स जिसे उस का बुरा काम शैतानी (अग़वॉ से) अच्छा कर दिखाया गया है औ वह उसे अच्छा समझने लगा है (कभी मोमिन नेकोकार के बराबर हो सकता है हरगिज़ नहीं) तो यक़ीनी (बात) ये है कि ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है राहे रास्त पर आने (की तौफ़ीक़) देता है तो (ऐ रसूल कहीं) उन (बदबख्तों) पर अफसोस कर करके तुम्हारे दम न निकल जाए जो कुछ ये लोग करते हैं ख़ुदा उससे खूब वाक़िफ़ है