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Sura 35
Aya 43
43
استِكبارًا فِي الأَرضِ وَمَكرَ السَّيِّئِ ۚ وَلا يَحيقُ المَكرُ السَّيِّئُ إِلّا بِأَهلِهِ ۚ فَهَل يَنظُرونَ إِلّا سُنَّتَ الأَوَّلينَ ۚ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ اللَّهِ تَبديلًا ۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ اللَّهِ تَحويلًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(उसके आने से) उनकी नफरत को तरक्की ही होती गयी और बुदी तद्बीर (की बुराई) तो बुरी तद्बीर करने वाले ही पर पड़ती है तो (हो न हो) ये लोग बस अगले ही लोगों के बरताव के मुन्तज़िर हैं तो (बेहतर) तुम खुदा के दसतूर में कभी तब्दीली न पाओगे और खुदा की आदत में हरगिज़ कोई तग़य्युर न पाओगे