يا أَيُّهَا النَّبِيُّ إِنّا أَحلَلنا لَكَ أَزواجَكَ اللّاتي آتَيتَ أُجورَهُنَّ وَما مَلَكَت يَمينُكَ مِمّا أَفاءَ اللَّهُ عَلَيكَ وَبَناتِ عَمِّكَ وَبَناتِ عَمّاتِكَ وَبَناتِ خالِكَ وَبَناتِ خالاتِكَ اللّاتي هاجَرنَ مَعَكَ وَامرَأَةً مُؤمِنَةً إِن وَهَبَت نَفسَها لِلنَّبِيِّ إِن أَرادَ النَّبِيُّ أَن يَستَنكِحَها خالِصَةً لَكَ مِن دونِ المُؤمِنينَ ۗ قَد عَلِمنا ما فَرَضنا عَلَيهِم في أَزواجِهِم وَما مَلَكَت أَيمانُهُم لِكَيلا يَكونَ عَلَيكَ حَرَجٌ ۗ وَكانَ اللَّهُ غَفورًا رَحيمًا
फ़ारूक़ ख़ान & नदवी
ऐ नबी हमने तुम्हारे वास्ते तुम्हारी उन बीवियों को हलाल कर दिया है जिनको तुम मेहर दे चुके हो और तुम्हारी उन लौंडियों को (भी) जो खुदा ने तुमको (बग़ैर लड़े-भिड़े) माले ग़नीमत में अता की है और तुम्हारे चचा की बेटियाँ और तुम्हारी फूफियों की बेटियाँ और तुम्हारे मामू की बेटियाँ और तुम्हारी ख़ालाओं की बेटियाँ जो तुम्हारे साथ हिजरत करके आयी हैं (हलाल कर दी और हर ईमानवाली औरत (भी हलाल कर दी) अगर वह अपने को (बग़ैर मेहर) नबी को दे दें और नबी भी उससे निकाह करना चाहते हों मगर (ऐ रसूल) ये हुक्म सिर्फ तुम्हारे वास्ते ख़ास है और मोमिनीन के लिए नहीं और हमने जो कुछ (मेहर या क़ीमत) आम मोमिनीन पर उनकी बीवियों और उनकी लौंडियों के बारे में मुक़र्रर कर दिया है हम खूब जानते हैं और (तुम्हारी रिआयत इसलिए है) ताकि तुमको (बीवियों की तरफ से) कोई दिक्क़त न हो और खुदा तो बड़ा बख़शने वाला मेहरबान है