17فَلا تَعلَمُ نَفسٌ ما أُخفِيَ لَهُم مِن قُرَّةِ أَعيُنٍ جَزاءً بِما كانوا يَعمَلونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदफिर कोई प्राणी नहीं जानता आँखों की जो ठंडक उसके लिए छिपा रखी गई है उसके बदले में देने के ध्येय से जो वे करते रहे होंगे