17يا بُنَيَّ أَقِمِ الصَّلاةَ وَأمُر بِالمَعروفِ وَانهَ عَنِ المُنكَرِ وَاصبِر عَلىٰ ما أَصابَكَ ۖ إِنَّ ذٰلِكَ مِن عَزمِ الأُمورِफ़ारूक़ ख़ान & अहमद"ऐ मेरे बेटे! नमाज़ का आयोजन कर और भलाई का हुक्म दे और बुराई से रोक और जो मुसीबत भी तुझपर पड़े उसपर धैर्य से काम ले। निस्संदेह ये उन कामों में से है जो अनिवार्य और ढृढसंकल्प के काम है