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Sura 30
Aya 55
55
وَيَومَ تَقومُ السّاعَةُ يُقسِمُ المُجرِمونَ ما لَبِثوا غَيرَ ساعَةٍ ۚ كَذٰلِكَ كانوا يُؤفَكونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

जिस दिन वह घड़ी आ खड़ी होगी अपराधी क़सम खाएँगे कि वे घड़ी भर से अधिक नहीं ठहरें। इसी प्रकार वे उलटे फिरे चले जाते थे