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Sura 30
Aya 48
48
اللَّهُ الَّذي يُرسِلُ الرِّياحَ فَتُثيرُ سَحابًا فَيَبسُطُهُ فِي السَّماءِ كَيفَ يَشاءُ وَيَجعَلُهُ كِسَفًا فَتَرَى الوَدقَ يَخرُجُ مِن خِلالِهِ ۖ فَإِذا أَصابَ بِهِ مَن يَشاءُ مِن عِبادِهِ إِذا هُم يَستَبشِرونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ख़ुदा ही (क़ादिर तवाना) है जो हवाओं को भेजता है तो वह बादलों को उड़ाए उड़ाए फिरती हैं फिर वही ख़ुदा बादल को जिस तरह चाहता है आसमान में फैला देता है और (कभी) उसको टुकड़े (टुकड़े) कर देता है फिर तुम देखते हो कि बूँदियां उसके दरमियान से निकल पड़ती हैं फिर जब ख़ुदा उन्हें अपने बन्दों में से जिस पर चहता है बरसा देता है तो वह लोग खुशियाँ माानने लगते हैं